लोकसभा चुनाव 2019। प्यार, वफा, रिश्ते नाते, सब बातें हैं, बातों का क्या

लखनऊ(उत्तर प्रदेश),17 मई 2019। सात चरणों के साथ ग्यारह अप्रैल से आरम्भ हुआ चुनाव अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। छह चरणों के सम्पन्न चुनाव में राजनीतिक दलों ने एक दूसरे दलों पर जमकर भड़ास निकाली। राजनीतिक दलों के कद्दावर नेताओं द्वारा आरोप प्रत्यारोप के बीच ऐसे ऐसे जुमले और बातें उछाली गयी जिन्हें सुनकर जनता हतप्रभ रह गयी। हर दल ने अपने लुभावने वादों द्वारा मतदाताओं को लुभाने व ठगने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लूभावने वादों के बीच गरीबी, मंहगाई,अत्याचार, शिक्षा, रोजगार की बातें अब गौड़ हो गयी है। चुनावी मौसम में जिस तरह सूर्य की तपन और पारे की गर्मी रोज बढ़ती रही है, उसी तरह मतदाताओं की बेरुखी ने राजनीतिक दलों के माथे पर चिन्ता की लकीरें खींच दी हैं। आपसी कलह,छल कपट,पार्टी बदल और भीतरघात से सभी दलों में खौफ छाया रहा।
आखिरी दौर के चुनाव में प्रदेश की तेरह सीटों पर चुनाव होना है,जिसमें महाराजगंज,गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव सुरक्षित, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चन्दौली, वाराणसी, मिर्जापुर, तथा रावर्ट्सगंज सुरक्षित सीट है। इस अंतिम चरण का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी सहित कई राजनीतिक हस्तियों व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दाव पर है। सबसे महत्वपूर्ण सीट वाराणसी है जहां से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं उम्मीदवार है,जहां उनका मुकाबला सपा बसपा की शालिनी यादव व कांग्रेस के अजय राय से है। गाजीपुर सीट से मोदी मंत्रीमंडल के सहयोगी मनोज सिन्हा मैदान में हैं,जिनका सीधा मुकाबला सपा बसपा के प्रत्याशी अफजाल अंसारी से है,यहां विकास का मुद्दा अन्य मुद्दों पर भारी है तो वहीं जातिवाद भी इस चुनाव में हावी है। काफी समय के बाद महर्षि भृगु की बलिदानी धरती से इस बार चन्द्रशेखर का परिवार पूरी तरह बाहर है और मुख्य मुकाबला भाजपा के विरेन्द्र सिंह मस्त व सपाबसपा गठबंधन के सनातन पांडेय के बीच है। मिर्जापुर सीट से भाजपा की सहयोगी अपना दल एस से एक बार फिर केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं जिनका मुकाबला सपा बसपा के रामचरित्र निषाद से है। चंदौली सीट से वर्तमान सांसद व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पाण्डेय भी चुनावी समर में विपक्षी सपाबसपा गठबंधन के संजय चौहान से जोर आजमाईश कर रहे हैं। आज सातवें चरण का चुनाव प्रचार भी समाप्त हो रहा है। अब प्रत्याशी और उनके समर्थक मतदाताओं की गणेश परिक्रमा के साथ साथ अपने बूथ प्रमुखों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने में लग गये हैं।
प्रदेश में लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान में अपने प्रत्याशियों को विजय दिलाने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या, जनरल वीके सिंह ने ताबड़तोड़ रैलियां की, तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी और सपा—बसपा गठबंधन से अखिलेश यादव और मायावती ने चुनावी जनसभाओं के माध्यम से अपने प्रत्याशी को विजयी बनाने की अपील की।इस चुनाव के मद्देनजर चुनावी रणनीतिकारों का कहना है कि इस बार चुनाव परिणाम अप्रत्याशिक होंगे और कई मठाधीशों को अपनी गद्दी से दूर होना पड़ सकता है।
बताते चलें कि पिछली सोलहवीं लोकसभा के चुनाव के नतीजे सोलह मई 2014 को घोषित किए गए थे। उस चुनाव में भाजपा को ऐतिहासिक सफलता मिली थी। नरेन्द्र मोदी के चेहरे के साथ भाजपा ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए अपने बलबूते 282 सीटों पर विजयश्री प्राप्त की थी। यह वह ऐतिहासिक क्षण था जब तीन दशकों में किसी दल को स्पष्ट बहुमत मिला था। उस चुनाव में भाजपा ने 428 प्रत्याशियों को चुनावी रण में उतारा था जिसमें से 282 उम्मीदवार सांसद बनने में सफल रहे। उत्तर प्रदेश की अस्सी सीटों में से 73 सीटों पर भाजपा ने अपना परचम लहराया था। वहीं कभी अपराजेय रहने वाली कांग्रेस पार्टी, उस चुनाव में मात्र 44 सीटों पर सिमटकर नेता प्रतिपक्ष का हक भी गवां बैठी। तब 26 मई 2014 को नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने और पांच वर्षों के अथक प्रयास से देश की छवि को सुधारने के साथ ही साथ भारत को विश्व पटल पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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