उत्तर प्रदेश में लाउडस्पीकर लगाने से पूर्व प्रशासन की अनुमति हुई जरूरी

लखनऊ, 07 जनवरी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने ध्वनि प्रदूषण नियमों को कड़ाई से लागू करने के निर्देश जारी किया है।प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार के अनुसार प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है कि उनके क्षेत्र में लगे सभी स्थानों के ध्वनि प्रसारक यंत्रो/लाउडस्पीकरो को चिन्हित  कर यह पता लगाया जाये क्या लाउडस्पीकर लगाने से पहले उसकी अनुमति ली गयी या नहीं। बगैर अनुमति लाउडस्पीकरों लगाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाये। उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर लगाने के लिये सभी मानकों का पालन किया जाये।      उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने गत 20 दिसंबर को राज्य में ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण में नाकामी को लेकर कड़ी नाराजगी जताई थी और राज्य सरकार से पूछा था कि क्या प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों, मस्जिदों, मंदिरों, गुरुद्वारों या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगे लाउडस्पीकर संबंधित अधिकारियों से इजाजत लेने के बाद लगाये गए हैं। न्यायालय में अपनी फजीहत कराने के बाद सरकार ने लाउडस्पीकर के सर्वेक्षण का दस पृष्ठों का प्रोफार्मा जारी किया है। इसमें स्थायी रूप से लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत लेने का फॉर्म और जिन लोगों ने लाउडस्पीकर लगाने की इजाजत नहीं ली है, उनके खिलाफ की गयी कार्रवाई की विस्तृत जानकारी देने को कहा गया है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने 20 दिसंबर को राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए यह पूछा था कि क्या प्रदेश के मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, गिरिजाघरों एवं अन्य सभी सरकारी स्थानों पर बजने वाले लाउडस्पीकरों के लिए अनुमति ली गयी है? अदालत की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के धार्मिक स्थलों एवं अन्य सरकारी स्थानों पर बिना सरकारी अनुमति के लाउडस्पीकर बजाने पर सख्त ऐतराज जताया था।
अदालत ने प्रमुख सचिव गृह एवं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन को यह सारी सूचना अपने व्यक्तिगत हलफनामे के जरिये एक फरवरी तक पेश करने का आदेश दिया था। अदालत ने दोनों अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि ऐसा नहीं करने की स्थिति में दोनों अधिकारी अगली सुनवायी के समय व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहेंगें।
स्थानीय वकील मोतीलाल यादव की ओर से दायर एक जनहित  याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ एवं न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की खंडपीठ ने 20 दिसंबर को यह आदेश जारी किया था। पारित किया था।
ध्वनि प्रदूषण नियमन एवं नियंत्रण नियम, 2000 में यह प्रावधान है कि ऑडिटोरियम, कांफ्रेंस रूम, कम्यूनिटी हॉल जैसे बंद स्थानों को छोड़कर रात 10 बजे से प्रातः छह बजे तक लाउडस्पीकरों का प्रयोग नहीं किया जायेगा। हांलाकि राज्य सरकार को यह छूट है कि वह एक कैलेन्डर वर्ष में अधिकतम 15 दिनों के लिए सांस्कृतिक या धार्मिक अवसरों पर रात 10 बजे से रात 12 बजे के बीच ध्वनि प्रदूषण कम करने की शर्तों के साथ लाउडस्पीकर बजाने की छूट दे सकती है।

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